भारत में अंग दान से संबंधित कुछ तथ्य

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हाल के कुछ वर्षों में अंगदान का महत्व बहुत बढ गया है। वह इसलिए, क्योंकि अंगों के प्रत्यारोपण पहले से अधिक सफल होने लगे हैं। इस सफलता से अनेक जिन्दगियों को बचाया जा रहा है। अंगों के प्रत्यारोपण की संभावनाएं बहुत बढ़ गई है। लेकिन भारत में अंगदान की संख्या बहुत कम है।

इस मामले से जुडे़ कुछ बिंदु –

  • भारत में अंग प्रत्यारोपण की जरूरत वाले रोगियों में से केवल 4% को ही एक अंग प्राप्त हो पाता है।
  • एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में अगर घातक दुर्घटनाओं के शिकार लोगों में से 5-10% भी अंगदान का निर्णय ले लें, तो इस कमी को पूरा किया जा सकता है।
  • पारिवारिक आशंकाएं, भय, अंगों के सही इस्तेमाल पर संदेह, धार्मिक और सामाजिक परंपराएं आदि कुछ ऐसे कारण है, जिनके कारण लोग अंगदान करने से बचना चाहते हैं।
  • अंगदान को बढ़ाने के लिए समाज में जागरूकता फैलाए जाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार, मेडिकलकर्मी, धार्मिक और सामाजिक नेता और कुछ नामी हस्तियों को आगे आना चाहिए। बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाना चाहिए।
  • सरकार को अंगदान से जुड़े नियमों में कुछ परिवर्तन करने चाहिए। पंजीकरण शुल्क और अंग प्राप्ति के लिए उम्र की सीमा पर प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए।

हाल ही में प्रधानमंत्री ने भी अंगदान के लिए रजिस्टर करने की अपील की है। भारत सरकार को अंगदान के लिए डोमिलाइल प्रतिबंध को हटाना चाहिए। अंगदाताओं में वृद्धि के बिनाए बढ़ी हुई मांग से अंगों के अवैध व्यापार को बढ़ावा मिलता जाएगा। आर्थिक रूप से  कमजोर लोगों का शोषण होता रहेगा। भारत सरकार को चाहिए कि व्यवस्था में फैली इन कमियों का दूर करने के लिए एक सार्थक योजना बनाए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 28 मार्च, 2023

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