सीएम योगी के अब्बा जान वाले बयान पर अब बिहार की एक अदालत में याचिका दाखिल की गई है। साथ ही विपक्ष ने इस बयान को लेकर बीजेपी पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया है।
सीएम योगी ने एक इंटरव्यू में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मुलायम सिंह के लिए अब्बा जान शब्द का प्रयोग किया था। जिसके बाद पहले सपा और अखिलेश यादव ने इस पर विरोध जताया था, फिर इस मामले पर टीएमसी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने भी योगी पर हमला बोला है।
उधर बिहार में अब्बा जान शब्द को लेकर मुजफ्फरपुर कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। याचिका में इस बयान को लेकर आपत्ति जताई गई है। योगी पर मुस्लिमों की भावनाओं को आहत करने को लेकर मामला दर्ज करने की मांग की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने ये याचिका दाखिल की है।
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि “भाजपा के पास सांप्रदायिकता और मुसलमानों के प्रति नफरत के सिवा और कोई एजेंडा नहीं है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय कुमार लल्लू ने योगी आदित्यनाथ के अब्बा जान वाली टिप्पणी को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि वो राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले टीएमसी की महुआ मोइत्रा ने भी योगी पर हमला करते हुए कहा था कि ये खुलेआम कानून का उल्लघंन है।
इससे पहले अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर कहा था- जिनसे हार का डर होता है, लोग अक्सर बदहवासी में उनका नाम लेते रहते हैं। जिनको यूपी में डॉमिसायल देखे बिना लादा गया था, जनता उस बोझ को हटा देगी। हो सकता है कल ही दिल्लीवाले इनकी बर्ख़ास्तगी या बदली की खबर लेकर आ जाएं। देखना ये है कि इन्हें पहले कौन हटाता है, इनके अपने या जनता।
बता दें कि रविवार को कुशीनगर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम आदित्यनाथ ने आरोप लगाया कि 2017 से पहले लोगों को राशन नहीं मिला जैसा अब उन्हें मिलता है। “क्योंकि तब ‘अब्बा जान’ कहे जाने वाले लोग राशन पचाते थे। कुशीनगर का राशन नेपाल और बांग्लादेश जाता था। आज अगर कोई गरीब लोगों के लिए बने राशन को निगलने की कोशिश करेगा, तो वह जेल में बंद हो जाएगा।
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