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- IPS मणिलाल पाटीदार केस अपडेट : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी को खारिज किया, भगोड़े IPS मणिलाल पाटीदार के साथ ट्रायल में था आरोपित
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यह आदेश जस्टिस यशवंत वर्मा ने बर्खास्तगी के विरुद्ध दारोगा देवेन्द्र कुमार शुक्ला की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व थानाध्यक्ष करबई देवेंद्र कुमार शुक्ला की बर्खास्तगी रद कर दी है। वह महोबा कांड में भगोड़ा घोषित पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार के साथ प्राथमिकी में नामजद थे। हाई कोर्ट ने कहा कि दरोगा की बर्खास्तगी से पूर्व इस मामले में जांच न करने का आरोप था। बिना जांच के अधिकारियों ने दारोगा को सीधे बर्खाश्त कर दिया था। यह आदेश जस्टिस यशवंत वर्मा ने बर्खास्तगी के विरुद्ध दारोगा देवेन्द्र कुमार शुक्ला की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है।
उल्लेखनीय है कि महोबा के कारोबारी के कत्ल का मामला पिछले सालभर से सुर्खियों में बना रहा। इस मामले में निलंबित होने के बाद से फरार आइपीएस मणिलाल पाटीदार को अदालत से भगोड़ा घोषित कर दिया है। राजस्थान में उसके घर पर कुर्की भी प्रयागराज पुलिस कर चुकी है।

पूर्व थानाध्यक्ष करबई देवेंद्र कुमार शुक्ला व भगोड़े आईपीएस मणिलाल पाटीदार।
बिना जांच कराए सीधे बर्खास्त कर दिया
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि आइजी चित्रकूट धाम बांदा ने 13 अक्टूबर 2020 को 1991 की नियमावली की अनदेखी कर बिना यह बताए कि आरोपों की जांच कराना क्यों संभव नहीं है, सीधे बर्खास्त कर दिया था। अधिवक्ता का कहना था कि बर्खास्तगी आदेश गलत था।
धन वसूली कर पाटीदार को पहुंचाने का आरोप
याची दरोगा पर अवैध वसूली करने और धन तत्कालीन एसपी पाटीदार को देने का आरोप था। धन उगाही के लिए व्यापारियों को फर्जी केस में फंसाने, बेजा दबाव बनाने जैसे कई गंभीर आरोप थे। बर्खास्तगी आदेश में कहा गया था कि याची दरोगा का कृत्य पुलिस विभाग में बने रहना लोकहित व प्रशासनिक हित में नहीं है। इसके बाद याची को 10 सितंबर 2020 को निलंबित किया गया था और उसके तुरन्त बाद 11 सितंबर को आईपीसी की धारा 387, 307, 120-बी व 7/ 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया और बर्खाश्त कर दिया गया था।
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